सामान्य श्वसन संबंधी रोग – कारण, लक्षण, बचाव और मैनेजमेंट
- 5 Dec, 2025
- Written by Team Dr Lal PathLabs
Medically Approved by Dr. Seema
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श्वसन संबंधी यानी सांस से जुड़ी बीमारियां (respiratory diseases) आमतौर पर ऐसी परेशानियां होती हैं जो मुख्य रूप से फेफडों (lungs)को प्रभावित करके सांस लेने (breathing) में समस्या पैदा करती हैं। सांस से जुड़े गंभीर मामले कई बार जानलेवा तक साबित हो सकते हैं। अगर इनकी गंभीरता को पहचान कर समय रहते मरीज को उपचार न मिले तो मरीज की जान तक जा सकती है। सांस से जुड़ी बीमारियों की प्रभावी रोकथाम के लिए इनके कारणों और लक्षणों की पहचान करना जरूरी है। चलिए इस लेख में जानते हैं श्वसन बीमारियों से जुड़े कारणों, लक्षणों और इसके मैनेजमेंट से जुड़े तरीकों के बारे में सब कुछ। सटीक मेडिकल जांच और हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए डॉ. लाल पैथलेब्स का ऐप डाउनलोड कीजिए।
श्वसन संबंधी बीमारियां क्या होती हैं?
श्वसन की बीमारी दरअसल उन स्थितियों को कहते हैं जिसमें फेफड़े और वायुमार्ग यानी सांस लेने की नली प्रभावित होती है। इससे मरीज का सांस लेना मुश्किल हो जाता है। सांस संबंधी बीमारियां सामान्य सर्दी जुकाम जैसी छोटे संक्रमण से लेकर अस्थमा, निमोनिया, टीबी और सीपीओडी जैसी लंबी और पुरानी बीमारी के रूप में पहचानी जाती हैं। देखा जाए तो श्वसन संबंधी बीमारियां केवल फेफड़ों और सांस को ही नहीं बल्कि समूचे स्वास्थ्य और फिटनेस को प्रभावित करती है। सटीक मेडिकल टेस्ट और हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के लिए डॉ. लाल पैथलैब्स का ऐप डाउनलोड करें।
श्वसन संबंधी बीमारियों के क्या लक्षण हैं?
श्वसन संबंधी बीमारियां मूल रूप से सांस और फेफड़ों को बाधित करती हैं। ये बीमापियां कई कारणों से हो सकती हैं जो इस प्रकार हैं-
- बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial Infection) – कई हानिकारक बैक्टीरिया ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी श्वसन बीमारी का कारण बन जाते हैं।
- वायरल इंफेक्शन (Viral Infection) – वायरल इंफेक्शन के चलते भी फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं और श्वसन बीमारी हो सकती है।
- फंगल इंफेक्शन (Fungal Infection) – फंगल इंफेक्शन निमोनिया और दूसरी श्वसन संबंधी बीमारी की वजह बनता है।
- स्मोकिंग (Smoking) – धूम्रपान यानी सिगरेट या बीड़ी की लत सीओपीडी यानी क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज औऱ जानलेवा फेफडों के कैंसर का कारण बन सकती है।
- वायु प्रदूषण (Air Pollution) – लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते भी फेफड़े कमजोर हो रहे हैं। खासतौर पर वाहनो से निकलने वाला धुआं फेफड़ों की हेल्थ को काफी नुकसान पहुंचा रहा है।
- हानिकारक कैमिकल्स – (Harmful chemicals) उद्योगो से निकलने वाले जहरीले कैमिकल जैसे एस्बेस्टस भी श्वसन बीमारियों का कारण माने जाते हैं।
- जेनेटिक (Genetics) – श्वसन संबंधी बीमारियां जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस आनुवांशिक मानी जाती हैं।
- पराग के कण (Pollen) – पराग के कण और यहां तक कि जानवरों की रूसी भी श्वसन रोग पैदा कर सकती है।
- धूल (Dust mites) – निर्माण कामकाज के दौरान वातावरण में फैली धूल और उसके कण भी श्वसन संबंधी बीमारियों की वजह बन जाते हैं।
- एलर्जी (Allergy) – कई तरह की एलर्जी भी श्वसन रोगों का कारण बन जाती है।
श्वसन संबंधी बीमारियों के लक्षण क्या हैं?
श्वसन संबंधी बीमारियों के लक्षण मरीज की उम्र और स्थिति के आधार पर अलग अलग हो सकते हैं। श्वसन संबंधी बीमारियों के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं-
- लगातार खांसी – मरीज को लगातार खांसी बनी रहती है। कई बार ये खांसी तीन सप्ताह या उससे अधिक समय तक रहती है।
- खांसी में बलगम या खून आना – खांसी के दौरान बगलम या खून दिखना शुरू हो जाता है।
- सांस लेने में दिक्कत आना – मरीज को सांस लेने में दिक्कत आने लगती है। सांस लेने के लिए जोर लगाना पड़ता है।
- सांस फूलना- मरीज की सांस फूलने लगती है। ज्यादा कामकाज न करने के बावजूद उसकी सांस फूल जाती है।
- छाती में दर्द होना मरीज की छाती में दर्द रहता है, खासतौर पर ये दर्द सांस लेने या खांसने के दौरान बढ़ जाता है।
- अचानक वजन कम होना – मरीज का अचानक वजन कम होने लगता है।
- हर वक्त थकान बने रहना – मरीज को हर वक्त थकान महसूस होने लगती है।
- खांसते समय घरघराहट की आवाज आना – मरीज के खांसने पर सीने से घरघराहट जैसी आवाज आती है।
- बुखार आना – मरीज को बुखार आता है।
- सीने में जकड़न महसूस होना – मरीज के सीने मे दबाव या जकड़न जैसा महसूस होता है।
- गले में खराश बने रहना -मरीज के गले में हर वक्त खराश बनी रहती है।
- नाक बंद होना या बहना – कई बार नाक बंद हो जाती है, या फिर उससे पानी बहने लगता है।
- आवाज बदल जाना – कुछ मामलों में सांस की नली में सूजन के चलते मरीज की आवाज में बदलाव आ जाता है।
- कुछ मामलों में मरीज के पैर की उंगलियां सूज जाती हैं।
श्वसन संबंधी बीमारियों से बचाव कैसे किया जा सकता है?
श्वसन संबंधी बीमारियों से बचाव के लिए इसके रिस्क को कम करना जरूरी है। श्वसन संबंधी बीमारियों को रोकने के लिए ये बचाव उपाय काम आ सकते हैं-
- स्मोकिंग छोड़कर
- वायु प्रदूषण की अधिकता वाली जगहों पर मास्क पहनने से
- हानिकारक कैमिकल्स के संपर्क से बचाव करके
- धूल और धुएं से बचाव करके
- एलर्जिक पदार्थों से दूरी बनाकर
- पराग और जानवरों से दूरी बनाकर
- टीकाकरण के जरिए
- नियमित फेफड़ों की जांच के जरिए
- स्ट्रेस को मैनेज करने से
श्वसन संबंधी बीमारियों का मैनेजमेंट कैसे कर सकते हैं?
देखा जाए तो श्वसन संबंधी बीमारियां कई दूसरी बीमारियों के रिस्क पैदा कर देती हैं। लेकिन हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर और बचाव के तरीके अपनाकर इसे मैनेज किया जा सकता है। श्वसन संबंधी बीमारियों का मैनेजमेंट इन तरीकों से किया जा सकता है –
- स्मोकिंग से दूरी बनाकर- स्मोकिंग से दूरी बनाकर फेफडों को मजबूत बनाए रखा जा सकता है।
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करके फेफड़ों को मजबूत बनाया जा सकता है। नियमित व्यायाम से सांस लेने की क्षमता भी बढ़ जाती है।
- हेल्दी डाइट अपनाकर भी श्वसन संबंधी बीमारियों को मैनेज किया जा सकता है। अपनी डाइट में फलों औऱ सब्जियों को शामिल करना चाहिए। फलों और सब्जियों के सेवन से फेफड़ों की सेहत अच्छी बनी रहती है। इनके सेवन से इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है जिससे बाहरी इंफेक्शन का रिस्क कम होता है।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से भी फेफड़े हेल्दी रहते हैं। अगर ज्यादा पानी पिएंगे तो फेफड़े संक्रमण को बाहर निकालने में कामयाब होते हैं।
- घर में एयर प्यूरीफायर का प्रयोग करना चाहिए। इससे अपने आस पास वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
- सांस लेने के व्यायाम और प्राणायाम करने चाहिए। इस तरह के अभ्यास फेफड़ों की क्षमता सुधारते हैं और साथ ही श्वसन तंत्र को मजबूत बनाते हैं।
श्वसन संबंधी बीमारियों के पीछे अधिकतर इसके सामान्य रिस्क फैक्टर जैसे स्मोकिंग औऱ एयर पॉल्यूशन जिम्मेदार कहे जाते हैं। ऐसे में श्वसन संबंधी बीमारियों के रिस्क को कम करने के लिए इसके लक्षणों की पहचान करके मैनेजमेंट करना जरूरी हो जाता है। इसके लिए लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव करना महत्वपूर्ण है। अगर किसी मरीज में श्वसन संबंधी बीमारी के लक्षण दिख रहे हैं तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। श्वसन संबंधी बीमारी के लक्षणों के आधार पर टेस्ट बुक करने के लिए डॉ. लाल पैथलैब्स का ऐप डाउनलोड करें।
FAQ
प्रश्न – क्या श्वसन संबंधी बीमारियां संक्रामक होती हैं?
अस्थमा जैसी बीमारी संक्रामक नहीं होती है। लेकिन फ्लू, निमोनिया औऱ टीबी जैसी कुछ श्वसन संबंधी बीमारियां संक्रामक हो सकती हैं।
प्रश्न – तनाव श्वसन तंत्र की सेहत पर किस तरह असर डालता है?
तनाव के चलते सांस की तकलीफ जैसे लक्षण ट्रिगर होते हैं जिससे अस्थमा जैसी बीमारी और खतरनाक हो जाती है। तनाव शरीर के इम्यून सिस्टम को भी कमजोर करता है। इससे व्यक्ति सांस से जुड़े इंफेक्शन के रिस्क में जल्दी आता है।








