कैल्शियम की कमी के कारण और लक्षण
- 7 May, 2025
- Written by Team Dr Lal PathLabs
Medically Approved by Dr. Seema
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शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन और मिनरल्स का पोषण काफी जरूरी कहा जाता है। शरीर में अगर कैल्शियम की कमी (calcium deficiency) हो जाए तो शरीर कई तरह की कमजोरियों और बीमारियों का शिकार हो जाता है। शरीर में कैल्शियम की कमी को हाइपोकैल्सीमिया (Hypocalcaemia) कहा जाता है। कैल्शियम की कमी को लेकर आई एक अन्तरराष्ट्रीय स्टडी में कहा गया है कि भारत जैसे कई ऊष्णकटिबंधीय देशों में अक्सर लोगों के आहार में कैल्शियम की कमी पाई जाती है। समय पर इसका इलाज न किया जाए तो कई सेहत संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं। इस लेख में हम हाइपोकैल्सीमिया क्या है, इसके कारण, लक्षण और उपचार के बारे में बात करेंगे।
हाइपोकैल्सीमिया क्या है ?
अगर किसी व्यक्ति के शरीर के ब्लड स्ट्रीम यानी रक्त प्रवाह में कैल्शियम का स्तर सामान्य से कम हो जाए तो इसे हाइपोकैल्सीमिया कहा जाता है। देखा जाए तो कैल्शियम शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण और जरूरी मिनरल है। इसकी मदद से शरीर के कई कामकाज सुचारू रूप से होते हैं, जैसे मेटाबॉलिक फंक्शन, मांसपेशियों का सही से काम करना, दिल की लय बनाए रखना, हार्मोन का सही स्राव होना, नर्वस सिस्टम का सही संकेत देना, दांतों और हड्डियों का स्ट्रक्चरल सपोर्ट करना आदि। अगर किसी व्यक्ति के शरीर में कैल्शियम का स्तर कम हो जाए तो उसका शरीर खास हार्मोन रिलीज करता है जो संकेत देता है कि कैल्शियम को हड्डियों से ब्लड स्ट्रीम में छोड़ना चाहिए। इससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। आपको बता दें कि हाइपोकैल्सीमिया कम समय के लिए भी हो सकता है और इसकी अवधि लंबी और पुरानी यानी क्रोनिक भी हो सकती है। इसके लक्षण भी हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं।
हाइपोकैल्सीमिया के क्या कारण हैं?
देखा जाए तो शरीर में हाइपोकैल्सीमिया के कई कारण हैं। ये कारण इस प्रकार हैं –
- विटामिन डी की कमी (Vitamin D Deficiency) विटामिन डी शरीर में कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है। अगर शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाए तो हाइपोकैल्सीमिया की स्थिति बन जाती है। विटामिन डी की कमी के लिए सूरज की रोशनी की कमी, विटामिन डी युक्त आहार की कमी आदि जिम्मेदार हो सकती है।
- हाइपोपैराथायरॉइडिज्म (Hypoparathyroidism) हाइपोपैराथायरॉइडिज्म भी शरीर में कैल्शियम की कमी का कारण है। हाइपोपैराथायरॉइडिज्म तब होता है जब शरीर में पैराथायरॉइड ग्रंथियां (parathyroid glands) सही मात्रा में पैराथायरॉइड हार्मोन (parathyroid hormone) यानी पीटीएच नहीं बना पाती हैं। इसके चलते शरीर में कैल्शियम का स्तर कम होने लगता है।
- किडनी फेलियर (Kidney Failure) किडनी यानी गुर्दे का कामकाज न करना भी कैल्शियम के स्तर को कम करता है।किडनी फेलियर से शरीर में ब्लड में फास्फोरस बढ़ने लगता है और विटामिन डी का उत्पादन कम होने लगता है। इससे शरीर में कैल्शियम का स्तर कम होने लगता है।
- हाइपोमैग्नेसीमिया (Hypomagnesemia) शरीर में मैग्नीसियम की कमी भी कैल्शियम की कमी का कारण बनती है। दरअसल पैराथायरॉइड हार्मोन बनाने और रिलीज करने के लिए पैराथायरॉइड ग्रंथियों को मैग्नीसियम की जरूरत होती है। अगर मैग्नीसियम कम हो तो पीटीएच बनने में दिक्कत आती है और कम पीटीएच कैल्शियम का स्तर कम करता है।
- आनुवांशिक डिस्ऑर्डर (Some Genetic Disorders) शरीर में कुछ आनुवांशिक म्यूटेशन जैसे डिजॉर्ज सिंड्रोम (DiGeorge syndrome) ब्लड स्ट्रीम में कैल्शियम की कमी का कारण बन सकते हैं।
हाइपोकैल्सीमिया के रिस्क फैक्टर क्या हैं?
हालांकि हाइपोकैल्सीमिया किसी को भी और किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन इसके कुछ खास रिस्क फैक्टर हैं, जो इस प्रकार हैं –
- मैनोपॉज के बाद महिलाओं को (Postmenopausal women)
- एमेनोरिया (ऐसी महिलाएं जिन्हें मैंस्टुअल पीरियड नहीं होते हैं) का शिकार महिलाएं (amenorrhea)
- लैक्टोज इनटॉलरेंस (lactose intolerance)
- शाकाहारी व्यक्ति (vegan or vegetarian diets)
हाइपोकैल्सीमिया के लक्षण क्या हैं ?
हाइपोकैल्सीमिया के लक्षण हर व्यक्ति में इसके कम स्तर के आधार पर निर्भऱ करते हैं। इसके सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं–
- माइल्ड हाइपोकैल्सीमिया (Mild Hypocalcaemia)
- मांसपेशियों में दर्द होना और ऐंठन होना
- हाथ और पैरो में दर्द औऱ खिंचाव होना
- बाल मोटे और खुरदुरे हो जाना
- त्वचा सूखी हो जाना
- त्वचा पर पपड़ी जमना
- नाखून टूटना और नाखूनों में क्रैक आना
2. गंभीर हाइपोकैल्सीमीया (Severe Hypocalcaemia)
- कंफ्यूजन औऱ मैमोरी लॉस की स्थिति
- चिड़चिड़ापन
- बेचैनी
- डिप्रेशन
- स्किन पर पपड़ी जमना
- एग्जिमा के लक्षण
- किडनी के कामकाज में दिक्कत
- बालों का लगातार गिरना और कमजोर होना
- मतिभ्रम यानी हैलुशिनेशन होना
3. अधिक गंभीर हाइपोकैल्सीमिया (More Severe Hypocalcaemia)
- मांसपेशियों में लगातार दर्द बने रहना
- मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होना
- जोड़ों में दर्द होना
- स्किन में खुजली होना
- किडनी में पथरी
- ऑप्डिक डिस्क में सूजन आना
- होठों, उंगलियों, पैरों और जीभ पर झुनझुनाहट होना
- गले की मसल्स में दिक्कत, सांस लेने में दिक्कत होना
- हार्ट रिदम का अनियमित होना
- बाल गिरना
- दांतों का कमजोर होना
- कंजेसिट्व हार्ट फैलियर
- दौरे पड़ना
हाइपोकैल्सीमिया की जांच कैसे की जाती है ?
हाइपोकैल्सीमिया की जांच के लिए कैल्शियम कंसनट्रेशन टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट के तहत ब्लड स्ट्रीम में मौजूद कैल्शियम के लेवल की जांच की जाती है।
इसके अलावा शरीर में मैग्नीशियम, पोटैशियम, फास्फोरस, पीटीएच और विटामिन डी के स्तर की जांच के लिए ब्लड टेस्ट भी किया जाता है।
हाइपोकैल्सीमिया की जांच के लिए ईकेजी भी की जाती है जिसके तहत दिल की रिदम की जांच की जाती है।
इसके अलावा बोन इमेंजिंग टेस्ट किया जाता है, जिससे ये पहचान की जा सके कि हड्डियों में कैल्शियम का स्तर कितना है।
कैल्शियम की कमी के संकेतों को पहचानकर अगर समय पर इसका मैनेजमेंट किया जाए तो हाइपोकैल्सीमिया को रोकना संभव है। अगर किसी व्यक्ति में हाइपोकैल्सीमिया के लक्षण दिख रहे हैं तो डॉक्टरी परामर्श लेना जरूरी हो जाता है। कैल्शियम सीरम टेस्ट के लिए डॉ। लाल पैथलेब्स में परीक्षण बुक करवा सकते हैं।
FAQs
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कैल्शियम का कौन सा लेवल सबसे खतरनाक होता है
खतरनाक रूप से कम कैल्शियम का स्तर 7।6 mg/dL से कम होता है।
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क्या कैल्शियम के कम स्तर से स्किन पर रैशेज हो सकते हैं
हाइपोकैल्सीमिया आमतौर पर स्किन संबंधी दिक्कत जैसे एग्जिमा आदि से जुड़ा होता है।








