जलजनित इंफेक्शन : गर्मियों में परहेज और उपचार
- 8 May, 2025
- Written by Team Dr Lal PathLabs
Medically Approved by Dr. Seema
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गर्मियां आते ही वाटरब्रोन इंफेक्शन (waterborne infections) यानी जलजनित संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है। खासतौर पर भारत जैसे देश में हर साल गर्मियों में जल जनित बीमारियों के मामलों में तेजी आ जाती है। लगातार बढ़ता हुआ तापमान, पानी की बढ़ती खपत, स्वच्छ पेयजल की कमी, खराब सीवेज व्यवस्था के चलते हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस फैलने लगते हैं। कहावत है कि जो जीवन देता है, वही जीवन ले भी सकता है। यानी पानी जिसे जीवन कहा जाता है, अगर संक्रमण का कारण बन जाए तो जानलेवा भी साबित हो सकता है। यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में भारत की 50 फीसदी से भी कम आबादी के पास सुरक्षित पेयजल उपलब्ध है। हर साल लाखों घरों में कैमिकल रूप से दूषित पानी बीमारियों की वजह बन जाता है। ऐसे में गर्म मौसम में जल जनित संक्रमण की चुनौतियां और बढ़ जाती हैं क्योंकि देश के काफी लोग अभी भी नल में आने वाले दूषित पानी, गलत तरीके से स्टोर किए गए पानी और सड़क किनारे मिलने वाले अस्वस्छ पेयजल पर निर्भर होते हैं। ऐसे में ये समझना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है कि जल जनित संक्रमण क्यों और कैसे फैलता है। इसके साथ ही ये भी जानना जरूरी है कि जल जनित संक्रमण को कैसे रोका जा सकता है। चलिए इस लेख में जानते हैं कि जल जनित संक्रमण क्या है, इसके लक्षण क्या हैं और इसे कैसे मैनेज किया जा सकता है। सटीक मेडिकल जांच और हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए डॉ. लाल पैथलेब्स का ऐप डाउनलोड कीजिए।
जल जनित संक्रमण क्या है?
जल जनित संक्रमण वो बीमारियां हैं जो दूषित और अस्वस्छ पानी पीने या उसके संपर्क में आने से फैलती हैं। जब पानी हानिकारक बैक्टीरिया, परजीवियों या फिर वायरस से दूषित होता है तो इसे पीने वाला या इस पानी के संपर्क में आने वाला व्यक्ति संक्रमित होकर बीमार हो सकता है। कुछ सामान्य जल जनित बीमारियों में हैजा, पेचिश, टाइफाइड, हेपेटाइटिस ए और दस्त जैसी परेशानियां शामिल हैं। इस तरह के जल जनित संक्रमण होने पर मरीज उल्टी, दस्त, बुखार और डिहाइड्रेशन जैसे लक्षणों का शिकार हो जाता है। जल जनित संक्रमणों की सही रोकथाम के लिए जरूरी है कि इसके लक्षणों को सही समय पर पहचान कर इसका उपचार किया जाए क्योंकि ये लक्षण बहुत तेजी से बढ़ते हैं।
जल जनित संक्रमण गर्मी के मौसम में क्यों बढ़ जाते हैं?
गर्मियों के मौसम में ज्यादा तापमान के चलते दूषित पानी में बैक्टीरिया और वायरस की संख्या तेजी से बढ़ने लगती है। रुका हुआ पानी, गलत सीवेज व्यवस्था, गलत तरीके से सील किए गए टैंक, टूटी पाइपलाइन, घरों के आस पास भरा औऱ रुका हुआ पानी संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया के लिए प्रजनन स्थल बन जाता है। इसके साथ साथ गंदे और दूषित पानी में भोजन तैयार करने और अस्वच्छ पेयजल का सेवन करने से भी बैक्टीरिया औऱ परजीवी के संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
जल जनित संक्रमणों को किस तरह रोका जा सकता है?
जल जनित संक्रमणों को रोकने के लिए लाइफस्टाइल से जुड़ी हेल्दी आदतों का पालन करना सबसे ज्यादा जरूरी होता है। ये आदतें घर और रोजमर्रा की चीजों से जुड़ी होती हैं। गर्मियों के मौसम में जब जल जनित संक्रमणों का रिस्क बहुत ज्यादा होता है, तब व्यक्ति द्वाला अतिरिक्त सावधानी और देखभाल इस संक्रमण को रोकने में मददगार साबित हो सकती है। जल जनित संक्रमण के रिस्क को कम करने के साथ साथ समूची सेहत की रक्षा करने के लिए इस तरह के उपाय किए जा सकते हैं –
- शुद्ध पानी पिए – केवल शुद्ध, उबला हुआ और साफ पेयजल ही पिएं। खासकर यात्राओं के दौरान या किसी अपरिचित जगह पर आस पास सड़कों पर मिलने वाले पानी का सेवन न करें। ऐसे में आप बोतलबंद पानी का सेवन कर सकते हैं। अगर आपके घर में पानी को साफ करने की व्यवस्था नहीं है तो आपको पानी को उबालकर ही पीना चाहिए।
- घर में पानी स्टोर करने के लगाए गए फिल्टर और कंटेनर को समय समय पर साफ करते रहें ताकि उसमे बैक्टीरिया या वायरस पनप न सकें।
- हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोते रहें। खासकर शौचालय से आने के बाद और भोजन करने से पहले हाथों को अच्छी तरह धोना और साफ करना जरूरी है।
- स्ट्रीट फूड यानी सड़कों पर मिलने वाली बर्फ, कटे हुए फल औऱ पानी का सेवन न करें। ये सभी चीजें असुरक्षित और अस्वस्छ माहौल में तैयार की जाती हैं जिनके चलते जल जनित संक्रमण फैलता है।
- फलों औऱ सब्जियों को खाने से पहले उन्हें साफ पानी से अच्छी तरह धोएं।
- भोजन को पकाते समय स्वच्छता का ख्याल रखें। भोजन को पूरी तरह पकाएं। अधपका या कच्चा भोजन खाने से बचें।
- पानी को दूषित होने से बचाने के लिए कचरे और सीवेज व्यवस्था को दुरुस्त रखें। कचरे और सीवेज डिस्पोजल का सही निपटान करके पानी को दूषित होने से बचाया जा सकता है।
- पानी की टंकियों और पाइपलाइन की समय समय पर जांच करते रहें। खासकर गर्मियों के मौसम में पाइपलाइन और टंकी की दरारों और लीकेज पर नजर रखें।
जल जनित संक्रमण का उपचार कब करवाना चाहिए?
अगर मरीज के शरीर पर जल जनित संक्रमण के लक्षण दिख रहे हैं और लगातार बढ़ रहे हैं तो तुरंत डॉक्टरी सहायता लेनी चाहिए। लक्षण बिगड़ने पर डॉक्टरी इलाज न मिले तो स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे में डॉक्टरी मदद से स्थिति को संभाला जा सकता है और जल्द ठीक होने में मदद मिल सकती है। सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल सभी लोगों की सेहत के लिए महत्वपूर्ण है। पेयजल की स्वच्छता और सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन के साथ साथ जनता के ऊपर भी है। इस संबंध में जानकारी रखकर और जागरुकता दिखाकर जल जनित संक्रमणों से खुद को और अपने परिवार को बचाकर आप उनकी सेहत को सुरक्षित बना सकते हैं। सटीक और विश्वसनीय डायग्नोस्टिक टेस्ट बुक करने के लिए डॉ. लाल पैथलैब्स में शैड्यूल बुक करें। टेस्ट बुक करने के लिए डॉ. लाल पैथलैब्स का ऐप डाउनलोड कीजिए।
FAQ
प्रश्न – भारत में सबसे आम कही जाने वाली जल जनित बीमारियां क्या हैं?
टाइफाइड, हैजा, डायरिया और हेपेटाइटिस ए भारत में सबसे आम जल जनित बीमारियां हैं।
प्रश्न – गर्मियों के दौरान जल जनित बीमारियों से कैसे बचा जा सकता है?
शुद्ध और उबला हुआ पानी पिएं, स्वच्छ आदतों का पालन करें, सड़क किनारे मिलने वाली बर्फ, पानी और फूड का सेवन न करें, पानी का सही स्टोरेज करें। इसके साथ साथ सीवेज की सही व्यवस्था का पालन करने से जल जनित बीमारियों से बचा जा सकता है।
प्रश्न – क्या जल जनित बीमारियां संक्रामक होती हैं?
यदि पर्याप्त स्वच्छता नहीं रखी जाए तो कुछ जल जनित बीमारियां गंदे हाथों, दूषित भोजन और सरफेस यानी सतहों के माध्यम से दूसरों तक फैल सकती हैं।






