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कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण और उपचार

Medically Approved by Dr. Seema

Table of Contents

किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर की अहम भूमिका होती है। हाई कोलेस्ट्रॉल किसी भी व्यक्ति के दिल और शारीरिक सेहत के लिए बडा खतरा पैदा कर सकता है।आपको बता दें कि जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है तो अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल ब्लड वैसल्स यानी रक्त धमनियों में जमा हो जाता है। धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमने पर दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है। आईसीएमआर के 2021 में कराई गए एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत की जनता में कुल 24 फीसदी लोग हाई कोलेस्ट्रॉल के शिकार हैं। ऐसे दौर में जब लोगों में इस समस्या के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, ये पब्लिक हेल्थ के लिए एक बड़ी चेतावनी बनकर उभरा है।

 

ऐसे में जरूरी है कि कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच के साथ साथ इसके लक्षणों की निगरानी की जाए ताकि इसे कंट्रोल करने में मदद मिल सके। आपको बता दें कि बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल सेहत के लिए बहुत खतरनाक साबित होता है और लाइफस्टाइल में बदलाव करके इससे बचाव किया जाना संभव है। इस लेख में जानते हैं कि हाई कोलेस्ट्रॉल क्या है और इसके लक्षण और कारण क्या हैं। साथ ही जानेंगे इस वसा को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में सब कुछ।

कोलेस्ट्रॉल क्या होता है।

कोलेस्ट्रॉल खून में पाया जाने वाला एक वैक्स यानी मोम जैसा चिपचिपा फैट यानी वसा है। ये फैट शरीर में दो तरह का होता होता है। एलडीएल (कम घनत्व वाला लिपोप्रोटीन) और एचडीएल (अधिक घनत्व वाला लिपोप्रोटीन)। एलडीएल खराब कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है और एचडीएल अच्छा कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। हालांकि ये फैट शरीर के विकास के लिए अहम भी है क्योंकि ये वो वसा है जो कोशिका झिल्ली, हार्मोन और विटामिन डी को बनाने की प्रक्रिया में मददगार साबित होती है। लेकिन शरीर में इसका सीमित स्तर ही लाभदायक होता है। अगर शरीर में इसका का स्तर ज्यादा हो जाए तो ब्लड वैसल्स मे प्लॉक जमना शुरू हो जाता है और दिल संबंधी बीमारी और दिल के दौरे के रिस्क बढ़ जाते हैं।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण क्या होते हैं?

शरीर में जब एलडीएल यानी कम घनत्व वाला लिपोप्रोटीन बढ़ जाए और एचडीएल यानी उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन का स्तर कम हो जाए तो इस स्थिति को कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना कहते हैं। एलडीएल बढ़ने और एचडीएल घटने के कारण आमतौर पर लाइफस्टाइल और कुछ दूसरे कारणों से संबंध रखते हैं। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण इस प्रकार हैं –

  1. अनहेल्दी डाइट (Unhealthy diet): डाइट में सेचुरेटेड और ट्रांस फैट की अधिकता से इस वसा का स्तर बढ़ सकता है।
  2. फिजिकल एक्टिविटी की कमी (lack of Physical Activity ): जो लोग फिजिकल एक्टिविटी कम करते हैं, जैसे व्यायाम, योग और दूसरे शारीरिक श्रम, उनके शरीर में इसका स्तर ज्यादा हो जाता है।
  3. धूम्रपान करना (Smoking): स्मोकिंग करने से भी शरीर में इस वसा का लेवल हाई हो सकता है।
  4. शराब का सेवन (alcohol Consuming): शराब का ज्यादा सेवन करना भी इसकी एक वजह बन जाती है।
  5. जेनेटिक हिस्टरी (Genetic history): आनुवांशिक इतिहास यानी जिन लोगों के परिवार में पहले से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल के केस रहे हैं, भी इसका कारण है।
  6. डायबिटीज (Diabetes): डायबिटीज यानी शुगर की बीमारी भी इसके हाई होने का एक बड़ा कारण है।
  7. बीमारियां (Other Medical Conditions): कुछ पुरानी और खास बीमारियां जैसे लिवर या किडनी की पुरानी बीमारी, हाइपोथायरॉडिज्म और एड्स जैसी मेडिकल कंडीशन भी इसकी वजह बन सकती हैं।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण किस तरह दिखते हैं?

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण अक्सर साफ तौर पर दिखाई नहीं देते हैं। इसके लक्षण (कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और उपाय) काफी धीरे धीरे बढ़ते हैं औऱ आमतौर पर नजरंदाज कर दिए जाते हैं। ऐसे में किसी भी गंभीर औऱ जटिल स्थिति के पैदा होने से पहले नियमित स्तर पर कोलेस्ट्रॉल का टेस्ट करवाते रहना चाहिए।

 

20 साल की उम्र के बाद हर व्यक्ति को कोलेस्ट्रॉल टेस्ट (cholesterol test) के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। शरीर के लक्षणों के आधार पर डॉक्टर सलाह दे सकता है कि क्या उन्हें कोलेस्ट्रॉल टेस्ट (cholesterol test) की जरूरत है या नहीं। खासकर ऐसे में जब परिवार में हाई कोलेस्ट्रॉल का इतिहास हो, व्यक्ति मोटापे से ग्रसित हो, धूम्रपान या शराब का सेवन ज्यादा करता हो औऱ फिजिकल एक्टिविटी कम करता हो।

हालांकि कोलेस्ट्रॉल का स्तर (कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और उपाय) बढ़ने पर शरीर पर कुछ संकेत दिखते हैं जो इस प्रकार हैं –

  1. छाती में दर्द महसूस होना
  2. थोड़ी थोड़ी देर में सांस फूलना
  3. थकान औऱ कमजोरी महसूस होना
  4. हाथ औऱ पैरों में सुन्नता या झन्नाहट महसूस होना
  5. स्किन के रंग में बदलाव दिखना
  6. वजन बढ़ना

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के उपाय कैसे करें?

अगर किसी व्यक्ति में कोलेस्ट्रॉल का स्तर (cholesterol test) ज्यादा है तो लाइफस्टाइल में बदलाव और संतुलित डाइट प्लान की मदद से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। इस वसा का स्तर कंट्रोल करने के उपाय इस प्रकार हैं –

  1. हेल्दी डाइट अपनाएं – अपनी डाइट में ओट्स, फल, हरी सब्जियां, बीन्स और फाइबर युक्त आहार शामिल करें। ये संतुलित डाइट कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में मददगार साबित होती है। सैचुरेटेड फैट की जगह अनसैचुरेटेड फैट का प्रयोग करें जैसे एवोकाडो और मेवे।
  2. वजन पर नियंत्रण रखें – अगर वजन ज्यादा है तो वजन पर कंट्रोल करके इस वसा को नियंत्रित किया जा सकता है।
  3. नियमित रूप से एक्सरसाइज करें – सप्ताह में चार से पांच दिन कम से कम 30 मिनट की एक्सरसाइज जरूर करें। फिजिकल एक्टिविटी करने से एडीएल कम होने और एचडीएल बढ़ने में मदद मिलती है और दिल की सेहत बेहतर बनती है।

आपको बता दें कि हाई कोलेस्ट्रॉल दिल की सेहत के लिए खतरा बन सकता है और पूरे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। हालांकि संतुलित लाइफस्टाइल और डाइट को फॉलो करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है। गंभीर जटिलताओं से बचाव के लिए डॉक्टरी परामर्श पर नियमित जांच करवाएं। कोलेस्ट्रॉल टेस्ट (cholesterol test) के लिए डॉ. लाल पैथलैब्स में शैड्यूल बुक करें। शैड्यूल बुक करने के लिए डॉ. लाल पैथलैब्स का ऐप डाउनलोड करें।

FAQ

कोलेस्ट्रॉल टेस्ट कितनी बार करवाना चाहिए? 

एक वयस्क औऱ स्वस्थ व्यक्ति को हर चार से पांच साल में ये टेस्ट (cholesterol test) करवाना चाहिए। अगर किसी को डायबिटीज, दिल की बीमारी या परिवार में कोलेस्ट्रॉल का इतिहास है तो उसे ज्यादा बार जांच (cholesterol test)की जरूरत पड़ सकती है।

क्या हाई कोलेस्ट्रॉल को नैचुरल तरीके से कम किया जा सकता है?

हां, लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव करके, हेल्दी डाइट और नियमित रूप से फिजिकिल एक्टिविटी की मदद से हाई कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित किया जा सकता है।

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