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गठिया क्या है? गठिया के प्रकार, लक्षण और उपचार

Medically Approved by Dr. Seema

Table of Contents

गठिया जिसे गाउट भी कहते हैं, शरीर के जोड़ों से जुड़ी ऐसी बीमारी है जिसमें जोड़ों में दर्द और अकड़न होती है। इस बीमारी में जोड़ों में सूजन आ जाती है और रोजमर्रा के कामकाज प्रभावित होते हैं। गठिया को अर्थराइटिस भी कहते हैं। पहले कहा जाता था कि गठिया केवल उम्रदराज लोगों को ही होता है लेकिन नए दौर में कम उम्र के लोग भी इसका शिकार होने लगे हैं। देखा जाए तो गठिया के सौ से ज्यादा प्रकार हैं और हर प्रकार के लक्षण अलग अलग दिखते हैं। इस लेख में जानते हैं कि गठिया क्यों होता है और गठिया की पहचान कैसे की जाती है। साथ ही जानेंगे गठिया के लक्षण, कारण, इसके प्रकार और उपचार के बारे में सब कुछ।

 

गठिया क्या होता है?

 

गठिया जोड़ों को प्रभावित करने वाली बीमारी है। इसके चलते जोड़ों में दर्द होने लगता है और जोड़ अकड़ने लगते हैं। गठिया ज्यादा गंभीर हो जाए तो व्यक्ति को उठने बैठने और चलने में भी दिक्कत होने लगती है। गठिया के चलते घुटने, कंधे, पीठ, कमर का निचला हिस्सा, हाथ, टखने, कलाई और पैर प्रभावित होते हैं।

 

गठिया कितने प्रकार का होता है?

 

यूं तो गठिया के सौ से ज्यादा प्रकार होते हैं लेकिन इसके सबसे आम प्रकार चार या पांच होते हैं। गठिया के आम प्रकार इस तरह हैं –

 

  • ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) – ये गठिया का सबसे आम प्रकार हैं जो ज्यादातर लोगों को होता है। उम्र के साथ साथ शरीर के जोड़ों की उपाधि यानी कार्टिलेज घिसने लगती है, इसके चलते जोड़ो के हिलने पर उनसे हड्डियां आपस में घिसने लगती हैं और जोड़ कमजोर होने लगते हैं।
  • रुमेटीइड गठिया (Rheumatoid arthritis) – रूमेटाइड गठिया (rheumatoid arthritis in hindi ) एक ऑटो इम्यून डिस्ऑर्डर है, इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अनजाने में ही जोड़ों की परत वाले टिश्यूज पर हमला करने लगता है। ये शरीर के अन्य अंगों पर भी हमला करके उन्हें कमजोर कर सकता है।
  • गाउट (Gout) – गाउट जोड़ों में यूरिक एसिड के जमाव के कारण होता है। इस बीमारी में यूरिक एसिड के क्रिस्टल जोड़ों में जमा होने लगते हैं जिससे जोड़ों में दर्द होने लगता है और जोड़ों में सूजन हो जाती है। ये खासतौर पर हाथों की उंगलियों और पैरों की उंगलियों में होता है।

 

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गठिया के लक्षण किस तरह दिखते हैं?

 

गठिया जोड़ों में दर्द और सूजन के रूप में दिखता है। गठिया के लक्षण इस प्रकार दिखते हैं –

 

  • जोड़ों में दर्द
  • जोड़ों में सूजन
  • सुबह के समय जोड़ों की अकड़न
  • थकान हावी होना
  • एक्टिविटी की कमी
  • बुखार आना
  • भूख न लगना
  • त्वचा में बदलाव होना, त्वचा का रंग लाल होना
  • हाथ पैरों में सुन्नता महसूस होना

 

गठिया रोग क्यों होता है?

 

गठिया रोग के प्रकार के आधार पर इसके कई कारण होते हैं। गठिया की बीमारी के कारण इस प्रकार हैं –

 

  • बढ़ती उम्र– ऑस्टियोआर्थराइटिस आमतौर पर उम्र बढ़ने के कारण होता है। इसके अलावा काफी समय तक कामकाज न करने या गतिशीलता के अभाव में भी जोड़ों में दर्द होने लगता है।
  • जेनेटिक कारण– रूमेटाइड गठिया (rheumatoid arthritis in hindi) और सोरियाटिक गठिया ऑटो इम्यून डिस्ऑर्डर के चलते होता है। इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम ही जोड़ों के ऊतकों पर हमला करके उन्हें नष्ट करता है।
  • यूरिक एसिड– अगर खून में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाए तो ये गाउट का रूप ले लेता है जिसके चलते जोडों में दर्द और सूजन आने लगती है।
  • बढ़ा हुआ वजन– कई बार बढ़ा हुआ वजन भी गठिया का कारण बन सकता है। अतिरिक्त वजन जोड़ों पर दबाव डालता है जिससे ऑस्टियोअर्थराइटिस का रिस्क बढ़ जाता है।
  • चोट– कुछ मामलों में जोड़ों में लगी चोट और फ्रैक्चर आदि भी गठिया की वजह बन जाते हैं।

 

गठिया रोग की पहचान कैसे की जाती है?

 

गठिया रोग की पहचान करने के लिए कुछ खास टेस्ट किए जाते हैं।

 

  • शारीरिक जांच – डॉक्टर मरीज के जोड़ों की जांच करने के साथ साथ सूजन, लालिमा और गतिशीलता का आकलन करके गठिया रोग की पहचान करते हैं।
  • अर्थराइटिस टेस्ट – इसके तहत एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और एमआरआई के जरिए जोड़ों के डैमेज का आकलन किया जाता है।
  • ब्लड टेस्ट – गठिया की जांच के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है जिससे खून में यूरिक एसिड के स्तर का आकलन होता है। इसके अलावा इस टेस्ट की मदद से संभावित संक्रमण और ऑटो इम्यून संबंधी डिस्ऑर्डर का भी पता लग सकता है।

 

गठिया का मैनेजमेंट कैसे किया जा सकता है?

 

लाइफस्टाइल संबंधी आदतों में बदलाव करके गठिया का मैनेजमेंट किया जा सकता है। गठिया से बचाव के तरीके इस प्रकार हैं –

 

  • वजन पर नियंत्रण रखना – वजन पर नियंत्रण करके गठिया को रोका जा सकता है क्योंकि ज्यादा वजन जोड़ों पर दबाव बनाता है जिससे जोड़ कमजोर होते हैं।
  • फिजिकल एक्टिविटी – नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से जोड़ों का लचीलापन बना रहता है जिससे गाउट से बचाव संभव है।
  • धूम्रपान और शराब के सेवन से बचकर भी गठिया से बचाव किया जा सकता है।
  • तनाव कम करें – तनाव को दूर करने से भी गठिया होने के रिस्क कम होते हैं।
  • हेल्दी डाइट – अपनी डाइट में सूजन कम करने वाले आहार शामिल करके गठिया को रोका जा सकता है। ऐसी डाइट से परहेज करें जो यूरिक एसिड का स्तर बढ़ाती हो।

गठिया एक लंबी चलने वाली ऐसी बीमारी है जो लाइफस्टाइल से जुड़ी दिक्कतें पैदा करती है और रोजमर्रा कामकाज को प्रभावित करती है। गठिया के इलाज और प्रभावी मैनेजमेंट के लिए जरूरी है कि इसके लक्षणों को समझ कर सही समय पर गठिया रोग की पहचान की जाए। अगर किसी व्यक्ति में गठिया के लक्षण दिख रहे हैं तो डॉक्टरी परामर्श जरूर करें। डॉक्टरी परामर्श के बाद गठिया की जांच के लिए डॉ. लाल पैथलैब्स में शैड्यूल बुक करें। शैड्यूल बुक करने के लिए डडॉ. लाल पैथलैब्स का ऐप डाउनलोड करें।

 

FAQ

 

क्या गठिया का दर्द स्थायी होता है?

 

हालांकि सभी प्रकार के गठिया का कोई निश्चित इलाज नहीं है लेकिन इसके कुछ प्रकारों के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।

 

क्या गठिया का इलाज संभव है?

 

गठिया का कोई स्थायी या निश्चित इलाज नहीं है लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित करने से इसमें राहत पाई जा सकती है।

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