वयस्कों में मम्प्स (कंठमाला) – कारण, लक्षण औऱ उपचार
- 5 Dec, 2025
- Written by Team Dr Lal PathLabs
Medically Approved by Dr. Seema
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मम्प्स (Mumps) जिसे आम भाषा में कंठमाला या गलसुआ भी कहा जाता है, एक संक्रामक बीमारी (contagious viral disease) है जो चेहरे के दोनों तरफ की लार ग्रंथियों (salivary glands) को प्रभावित करती है। लार ग्रंथियां दरअसरल एक्सोक्राइन ग्रंथियां कहलाती है जो मुंह में लार बनाने का काम करती हैं। ये लार मुंह को नम रखने, चबाने और निगलने में मददगार साबित होती है। इसकी वजह से डाइजेशन की प्रोसेस चलती है। लार और नाक से निकलने वाले स्राव के चलते ये बीमारी एक से दूसरे में फैलती है। आमतौर पर मम्प्स के लक्षण काफी हल्के दिकते हैं। लेकिन अगर इस बीमारी का सही से इलाज न किया जाए तो ये गंभीर बीमारी जैसे मेनिंजाइटिस, एन्सेफलाइटिस और ऑर्काइटिस (अंडकोष की सूजन) के रूप में तब्दील हो सकती है। ये बीमारी इतनी संक्रामक है कि किसी से बात करते वक्त भी फैल सकती है। इसलिए इसका उचित इलाज काफी महत्वपूर्ण है। चलिए जानते हैं कि वयस्कों में मम्प्स यानी कंठमाला के कारण और लक्षण क्या हैं। साथ ही जानेंगे कि इसका उपचार किस तरह हो सकता है। सटीक मेडिकल जांच और हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए डॉ. लाल पैथलैब्स का ऐप डाउनलोड करें।
मम्प्स क्या होते हैं?
मम्प्स यानी कंठमाला गले की लार ग्रंथियों को संक्रमित करने वाली एक संक्रामक बीमारी है जो पैरामिक्सो वायरस के कारण फैलती है। संक्रमित मरीज की लार के संपर्क में आने पर कसी स्वस्थ व्यक्ति को ये बीमारी हो सकती है। नाक और लार के माध्यम से शरीर में प्रवेश करने वाला ये वायरस पैरोटिड ग्रंथियों (कान के नीचे मौजूद ग्रंथियां )को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। मम्प्स के चलते लार ग्रंथियों में सूजन आ जाती है। इसके कारण, गाल और जबडे सूज जाते हैं और दर्द करने लगते है। हालांकि शुरूआत में इस संक्रमण के लक्षण हल्के होते हैं लेकिन लक्षणों के गंभीर होने पर मरीज की सुनने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। मम्प्स से बचाव के लिए सबसे बेहतर तरीका मीजल्स-मम्प्स-रूबेला (MMR) का टीका (Measles-mumps-rubella (MMR) vaccine) लगवाना है।
मम्प्स के रिस्क फैक्टर क्या हैं?
सामान्य लोगों की तुलना में कुछ खास लोगों को मम्प्स के संक्रमित होने का रिस्क ज्यादा रहता है। ये लोग इस प्रकार हैं
- कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग (Individuals with weakened immune systems) – जिन लोगों का इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, वो जल्दी इस संक्रामक बीमारी का शिकार होते हैं।
- वैश्विक स्तर पर यात्रा करने वाले लोग (People who travel internationally) – ऐसे लोग जो कई देशों में यात्रा करते हैं, इस संक्रामक बीमारी की चपेट में जल्दी आते हैं।
- टीकाकरण से वंचित लोग (Those who have not been vaccinated against mumps)- ऐसे लोग जिन्होंने मम्प्स की रोकथाम के लिए वैक्सीन नहीं लगवाई है, ऐसे लोग इस बीमारी की चपेट में जल्दी आते हैं।
- कॉलेज कैंपस, पीजी, संयुक्त परिवार में रहने वाले लोग (People living in close) ऐसे लोग जो कमरे में साथ रहते हैं जैसे कॉलेज, पीजी, परिवार आदि में। ऐसे लोग जब निजी चीजें साझा करते हैं तो इस बीमारी का रिस्क बढ़ जाता है।
मम्प्स के क्या कारण हैं?
मम्प्स को फैलाने में पैरामिक्सो (Paramyxoviridae) वायरस का हाथ माना जाता है। इस वायरस के कारण मीजल्स, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं. इस वायरस से संक्रमित होने पर व्यक्ति की लार ग्रंथियां सूज जाती है और दर्द करने लगती हैं। ये वायरस संक्रमित मरीज की लार, नाक और मुंह से निकलने वाली श्वसन बूंदों के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। मम्प्स का वायरस इन तरीकों से भी दूसरे लोगों में फैलता है-
- छींकने से (Sneezing)
- खांसने से (coughing)
- लार के जरिए (saliva)
- नाक के जरिए (nose)
- बहुत नजदीक आकर बात करने से (Close talking)
- मुंह की श्वसन बूंदों के जरिए (respiratory droplets)
- निजी चीजों जैसे बर्तन, तौलिया आदि के इस्तेमाल से (Use of Personal Things)
मम्प्स के लक्षण क्या होते हैं?
मम्प्स के लक्षण शुरुआती दौर में काफी हल्के होते हैं और सामान्य तौर पर दो हफ्तों में खुद ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन अगर सही समय पर उपचार न मिले तो लक्षण गंभीर हो सकते हैं। मम्प्स के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं –
- बुखार आना
- सिर में तेज दर्द होना
- भूख कम होना या भूख मर जाना
- थकान महसूस होना
- मांसपेशियों में दर्द होना
- लार ग्रंथियों में सूजन आ जाना
- गले और कान के आस पास सूजन आ जाना
- गले और कान के आस पास लालिमा आना
- निगलने में कठिनाई होना
- भोजन चबाने में कठिनाई होना
- कई बार मरीज को बोलने में भी परेशानी होने लगती है
- गंभीर लक्षणों में पुरुषों के अंडकोष में सूजन आ जाती है।
मम्प्स का मैनेजमेंट कैसे किया जा सकता है?
यूं तो मम्प्स के कोई खास या सटीक उपचार मौजूद नहीं है। ये संक्रमण कुछ हफ्ते रहता है और फिर खुद ही ठीक हो जाता है। हालांकि इसके लक्षणों को कम करने पर फोकस करके इसमें राहत पाई जा सकती है। इसके मैनेजमेंट के लिए ये तरीके अपनाए जा सकते हैं –
- पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें
- ढेर सारे तरल पदार्थ लेते रहें
- दिन में दो से तीन बार नमक मिले गर्म पानी से गरारे करें
- हल्के नरम खाद्य पदार्थों का सेवन करें ताकि चबाने और निगलने में कठिनाई न हो।
- खट्टे और एसिडिक यानी अम्लीय फूड का सेवन न करें।
- गले और कान के नीचे सूजी हुई ग्रंथियों पर गर्म और ठंडी सिकाई करें। ठंडी सिकाई के लिए बर्फ का इस्तेमाल करें।
- पर्याप्त आराम करें जिससे शरीर वायरस से लड़ने में ऊर्जा लगा सके।
- इस दौरान सावर्जनिक और भीड़भाड़ वाले इलाकों से दूर रहें ताकि वायरस और ज्यादा न फैल सके।
मम्प्स संक्रामक लेकिन सामान्य बीमारी है, जिसे सही देखभाल और मैनेजमेंट के जरिए दूर किया जा सकता है। हालांकि अगर इसके लक्षणों को अनदेखा किया जाए तो ये बीमारी कुछ गंभीर बीमारियों का खतरा पैदा कर सकती है। अगर किसी व्यक्ति में मम्प्स के लक्षण दिख रहे हैं तो डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। मम्प्स जांच के लिए डॉ. लाल पैथलेब्स में मम्प्स टेस्ट बुक करें। टेस्ट बुक करने के लिए डॉ. लाल पैथलैब्स का ऐप डाउनलोड करें।
FAQ
- प्रश्न – वयस्क के मम्प्स होने पर क्या होता है?
हालांकि मम्प्स हल्की बीमारी है लेकिन अगर ये बच्चों की तुलना में किसी वयस्क को शिकार बनाती है तो इससे दूसरी गंभीर बीमारियों का रिस्क बढ़ जाता है। दूसरी बीमारियां जैसे दिमाग में सूजन, अंडाशय और अंडकोष की सूजन अग्नाशय यानी पैनक्रियाज की सूजन आदि। - प्रश्न – क्या 30 साल के व्यक्ति को मम्प्स हो सकता है।
आमतौर पर मम्प्स 2 से 12 साल के बच्चों को ज्यादा प्रभावित करते हैं, जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी होती है। लेकिन कई बार वयस्कों को भी ये संक्रमण हो जाता है क्योंकि कई सालों बाद टीके की प्रतिरक्षा कमजोर हो जाती है। इस वजह से ये संक्रमण वयस्कों को भी प्रभावित करता है।








