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उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) – कारण, लक्षण और उपचार

Medically Approved by Dr. Seema

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दुनिया में भागदौड़ भरी जिंदगी और बढ़ते तनाव के चलते उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर (high blood pressure) के मामलों में तेजी आई है। हाई ब्लड प्रेशर को हाइपरटेंशन (Hypertension) भी कहा जाता है। किसी व्यक्ति के शरीर में हाई ब्लड प्रेशर तब डेवलप होता है जब खून की धमनियों यानी ब्लड वैसल्स (blood vessels)खून का दबाव बहुत बढ़ जाता है। हालांकि हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति बहुत आम मानी जाती है, लेकिन अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो ये स्थिति मरीज के लिए दिल के दौरे या स्ट्रोक जैसे कारण पैदा कर सकती है। चलिए इस लेख में बात करते हैं कि यानी हाइपरटेंशन क्या है, इसके कारण और लक्षण क्या हैं। साथ ही जानेंगे कि इसका मैनेजमेंट किस तरह किया जा सकता है। सटीक मेडिकल जांच और हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए डॉ. लाल पैथलेब्स का ऐप डाउनलोड करें।

 

हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर क्या है?

 

हाइपटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसमें ब्लड वैसल्स यानी रक्त की धमनियों की दीवारों में खून का दबाव बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। अगर धमनियों में रक्त का प्रेशर लंबे समय तक बढ़ा हुआ रहे तो इससे धमनियों यानी वैसल्स को नुकसान पहुंचता है। हाई ब्लड प्रेशर आमतौर पर कई सालों तक बिना खास लक्षणों के किसी मरीज के शरीर में विकसित होता रहता है। आपको बता दें कि हाई ब्लड प्रेशर अगर लगातार बना हुआ है तो ये ब्लड वैसल्स के साथ साथ दूसरे महत्वपूर्ण अंगों जैसे दिमाग, दिल, आंखों और गुर्दे को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। सवाल उठता है कि किस तरह पहचाना जाए कि शरीर में ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है। नीचे दी गई तालिका में ब्लड प्रेशर की रीडिंग की अलग अलग कैटेगरीज को दिखाया गया है।

 

  1. कैटेगरी    सिस्टोलिक (MM HG)    डायस्टोलिक
  2. नॉर्मल रेंज    120 से कम    80 से कम
  3. एलिवेटेड रेंज    120- 129    80 से कम
  4. स्टेज वन हाइपरटेंशन    130-139    80-89
  5. स्टेज 2 हाइपरटेंशन    140/ऊपर    90/ऊपर

 

हाई ब्लड प्रेशर के क्या कारण हैं?

हाई ब्लड प्रेशर के कई कारण हैं। प्राइमरी हाई ब्लड प्रेशर शरीर में समय के साथ डेवलप होता है। हालांकि इसके लिए किसी एक कारण को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। इसके संभावित कारणों में गलत डाइट, उम्र का बढ़ना, शराब का सेवन और व्यायाम की कमी यानी फिजिकल एक्टिविटी की कमी शामिल हैं। वहीं सैकेंडरी हाइपरटेंशन की बात करें तो ये कम ही समय में डेवलप होता है और ये प्राइमरी हाई ब्लड प्रेशर की तुलना में ज्यादा खतरनाक होता है। सैकेंडरी हाई ब्लड प्रेशर के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं।

 

  1. किडनी की बीमारी
  2. नशीली दवाओं का सेवन
  3. तंबाकू का सेवन
  4. थायरॉइड की बीमारी
  5. ऑब्सस्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया

 

हाई ब्लड प्रेशर के रिस्क फैक्टर क्या हैं?

 

हाई ब्लड प्रेशर के कई रिस्क फैक्टर हो सकते हैं। ये इस प्रकार हैं –

 

  1. 65 साल की उम्र के बाद – आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ साथ शरीर में हाई ब्लड प्रेशर का रिस्क बढ़ने लगता है। ऐसे लोग जो 65 साल के हो गए हैं, या उससे ज्यादा की उम्र के हैं, हाई ब्लड प्रेशर के रिस्क में आते हैं।
  2. पारिवारिक इतिहास – अगर परिवार में किसी को पहले से हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी है तो अन्य सदस्यों को इसका रिस्क रहता है।
  3. डेली एक्सरसाइज न करना – फिजिकल एक्टिविटी की कमी इसका एक बड़ा कारण हो सकती है। जो लोग व्यायाम या एक्सरसाइज नहीं करते हैं, उनको हाई ब्लड प्रेशर का ज्यादा रिस्क रहता है।
  4. ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन – शराब और नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों में हाई ब्लड प्रेशर का ज्यादा रिस्क रहता है।

हाई ब्लड प्रेशर के क्या लक्षण हैं?

 

देखा जाए तो आमतौर पर कई लोगों में हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण काफी समय तक नहीं दिखते हैं। हाई ब्लड प्रेशर धीमी गति से शरीर में विकसित होता है, इसलिए इसके लक्षण कम दिखाई देते हैं। कई बार हाई ब्लड प्रेशर के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद भी इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसके कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार दिखाई देते हैं।

 

  1. सिर में लगातार दर्द होना – मरीज के सिर में तेज दर्द होता है। खासतौर पर सुबह उठने के समय सिर में तेज दर्द इसका एक लक्षण है।
  2. सांस लेने में तकलीफ होना – मरीज को सांस लेने में कठिनाई होने लगती है।
  3. छाती औऱ पीठ में दर्द होना – मरीज की छाती और पीठ में जकड़न और दर्द होने लगता है।
  4. थकान महसूस होना – मरीज को बिना ज्यादा कामकाज के भी थकान महसूस होने लगती है।
  5. चक्कर आना – मरीज को दिन के किसी भी समय चक्कर आ सकते हैं।
  6. दिल की धड़कन अनियमित हो जाना – मरीज के दिल की धड़कन अनियमित होने लगती है। कभी तेज तो कभी ज्यादा।
  7. चेहरा खासकर कान लाल हो जाना – मरीज का चेहरा लाल हो जाता है, खासकर कान के आस पास लालिमा आ जाती है।
  8. धुंधली नजर – मरीज की नजर धुंधली होने लगती है।
  9. नाक से खून बहना – कुछ मामलों में मरी की नाक से खून भी बह सकता है।

 

हाई ब्लड प्रेशर का मैनेजमेंट कैसे किया जा सकता है?

 

हालांकि हाई ब्लड प्रेशर को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन लाइफस्टाइल से जुड़े बदलावों के जरिए इसे नियंत्रित किया जा सकता है। ये बदलाव इस प्रकार हैं –

 

  1. वजन पर कंट्रोल करना
  2. नियमित रूप से हेल्दी डाइट का सेवन करना
  3. नमक का सेवन कम करना
  4. शराब का सेवन कम करना
  5. नियमित रूप से एक्सरसाइज करना
  6. घर पर लगातार ब्लड प्रेशर की निगरानी करना

 

 

अगर हाई ब्लड प्रेशर का समय पर इलाज न किया जाए तो ये स्थिति शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। इस स्थिति पर काबू पाने के लिए हाई ब्लड प्रेशर के लक्षणों को समय रहते पहचानना जरूरी है। आपको बता दें कि हाई ब्लड प्रेशर के सटीक मैनेजमेंट के लिए इसके लक्षणो की समझ के साथ साथ एक हेल्दी लाइफस्टाइल का पालन करना काफी महत्वपूर्ण है। हेल्दी लाइफस्टाइल में डेली फिजिकल एक्टिविटी, हेल्दी डाइट और ब्लड प्रेशर की नियमित मॉनिटरिंग शामिल है।

 

यदि किसी व्यक्ति के शरीर में हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण दिख रहे हैं तो उसे बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इसके साथ साथ हाई ब्लड प्रेशर की सटीक जांच के लिए और प्रभावी मैनेजमेंट के लिए डॉक्टर लाल पैथलेब्स में हाई ब्लड प्रेशर का टेस्ट बुक करवाना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए डॉ. लाल पैथलेब्स का ऐप डाउनलोड करें।

 

FAQ

हाई ब्लड प्रेशर की जटिलताएं क्या हैं?

अगर लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर रहे तो दिल का दौरा, स्ट्रोल, गुर्दे की खराबी और आंखों में समस्या जैसे रिस्क पैदा हो सकते हैं।

 

सामान्य ब्लड प्रेशर की रेंज क्या है ?

एक सामान्य और स्वस्थ ब्लड प्रेशर की रेंज 120/80 mmHg से कम होनी चाहिए। इससे ज्यादा होने पर हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति बन जाती है।

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