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इंटरमिटेंट फास्टिंग – फायदे, नुकसान और शेड्यूल

Medically Approved by Dr. Seema

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Intermittent Fasting

इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent fasting) वजन घटाने (Weight Loss) के लिए आज के दौर में एक बेहद लोकप्रिय सेहत संबंधी ट्रेंड (Health Trend) बन चुका है। उपवास के इस नए तरीके में व्यक्ति को एक नियमित अंतराल पर भोजन छोड़ना होता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग के जरिए मेटाबॉलिक हेल्थ (metabolic health)यानी चयापचय संबंधी प्रोसेस तेज होती है और मेंटल हेल्थ भी बढ़िया रहती है। दूसरे ट्रेडिशनल डाइट प्लान जिनमें क्या खाएं और क्या नहीं पर फोकस किया जाता है, उनसे अलग इंटरमिटेंट फास्टिंग में कब खाना है और कब नहीं, इस बात पर जोर दिया जाता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग का शेड्यूल डाइट के दौरान भोजन को चुनने के लिए कई विकल्प प्रदान करता है। इस आर्टिकल में हम बताएंगे कि इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है। इसके साथ साथ इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे और नुकसान के अलावा इसके कुछ लोकप्रिय शेड्यूल भी यहां जानेंगे।

इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है? (What is Intermittent Fasting?)

इंटरमिटेंट फास्टिंग यानी एक नियमित अंतराल पर की गई फूड प्रैक्टिस। इंटरमिटेंट फास्टिंग में व्यक्ति एक खास और लंबे समय तक किसी भी कैलोरी का सेवन नहीं करता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग में भोजन पर नहीं बल्कि भोजन के समय पर ध्यान दिया जाता है। इसके तहत दिन के कुछ घंटे या सप्ताह में कुछ दिन फास्ट करना यानी उपवास करना शामिल है। इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट प्लान को फॉलो करने से शरीर को भोजन को पूरी तरह पचाने और मेटाबॉलिज्म प्रोसेस को दुरुस्त करने का पर्याप्त समय मिल पाता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग की मदद से फैट बर्न होता है, इंसुलिन सेंसेटिविटी मजबूत होती है और ओवरऑल हेल्थ में सुधार होता है।

 

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इंटरमिटेंट फास्टिंग के क्या फायदे हैं? (Benefits of Intermittent Fasting)

इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे इस प्रकार हैं –

 

  1. वजन घटाने में मददगार (Supports weight loss) – इंटरमिटेंट फास्टिंग शरीर में कैलोरी का इनटेक कम करता है जिससे शरीर में कैलोरी की कमी होती है। कैलोरी की कमी होने से शरीर में स्टोर फैट यानी वजन को घटाने में मदद मिलती है। इंटरमिटेंट फास्टिंग की मदद से शरीर एनर्जी पाने के लिए अपने अंदर जमा फैट का उपयोग करता है। इससे शरीर का फैट बर्न होता है और परिणामस्वरूप वजन भी धीरे धीरे कम होने लगता है।
  2. ब्लड शुगर में सुधार (Improves blood sugar) – इंटरमिटेंट फास्टिंग के तहत रुक रुक कर भोजन करने और लंबे समय तक भोजन से दूर रहने पर शरीर में इंसुलिन का स्तर कम हो जाता है। इससे शरीर में ब्लड शुगर में बढ़ोतरी औऱ गिरावट के खतरे कम हो जाते हैं। खासतौर पर डायबिटीज के शिकार लोगों के लिए ब्लड शुगर का नियमित रहना बहुत जरूरी माना जाता है।
  3. इंसुलिन रेजिस्टेंस कम करना (Reduces insulin resistance) – इंटरमिटेंट फास्टिंग की मदद से शरीर में इंसुलिन सेंसेटिविटी को बढ़ाने में मदद मिलती है। इससे शरीर में ब्लड शुगर को मैनेज करना काफी आसान हो जाता है।
  4. शरीर में सूजन को कम करना (Reduces inflammation) – इंटरमिटेंट फास्टिंग को फॉलो करने से शरीर में आई सूजन को कम किया जा सकता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग पुरानी बीमारियों को रोकने में मदद करती है और ओवरऑल हेल्थ में सुधार लाती है।
  5. मेंटल हेल्थ में सुधार लाना (Improves brain health:) – इंटरमिटेंट फास्टिंग की मदद से मेंटल हेल्थ भी मजबूत होती है। इसे फॉलो करने से न्यूरोप्लास्टिकिटी (इस प्रोसेस में दिमाग नए कौशल सीखता है) को बढ़ावा मिलता है और मानसिक क्षमता मजबूत होती है।

सामान्य इंटरमिटेंट फास्टिंग शेड्यूल (Common Intermittent Fasting Schedules)

इंटरमिटेंट फास्टिंग की प्रैक्टिस कई तरीकों से की जा सकती है। कुछ सामान्य इंटरमिटेंट फास्टिंग शेड्यूल इस तरह हैं –

 

  1. 16/8 फास्टिंग (16/8 fasting) – इंटरमिटेंट फास्टिंग का ये शेड्यूल सबसे पॉपुलर शेड्यूल है। इसमें व्यक्ति 24 घंटे में 16 घंटे फास्ट रखता है और बाकी बचे 8 घंटों में भोजन करता है।
  2. 5/2 फास्टिंग (5/2 fasting) – इस मैथड को फास्ट डाइट कहा जाता है। इस शेड्यूल में सप्ताह में पांच दिन सामान्य रूप से भोजन करना है और बाकी बचे दो दिन बहुत ही कम कैलोरी वाला कम भोजन करना है।
  3. अल्टरनेट फास्टिंग (Alternate day fasting) – इंटरमिटेंट फास्टिंग का ये शेड्यूल फास्ट और नॉन फास्टिंग दिनों के बीच होता है। इसमें व्यक्ति एक दिन छोड़कर एक दिन भोजन करता है। यानी 24 घंटे का उपवास और अगले 24 घंटे भोजन करना।
  4. ईट–स्टॉप–ईट (Eat-stop-eat) – इंटरमिटेंट फास्टिंग के इस शेड्यूल में सप्ताह में एक या दो दिन फास्टिंग की जाती है। ये फास्टिंग पूरे 24 घंटे की होती है यानी पूरे एक दिन कुछ भी नहीं खाना है। इस शेड्यूल में खाने से एक लंबा ब्रेक मिलता है जिससे कैलोरी इनटेक काफी कम हो जाता है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के नुकसान क्या हैं? (Disadvantages of Intermittent Fasting)

देखा जाए तो सेहत को ढेर सारे फायदे देने के साथ साथ इंटरमिटेंट फास्टिंग का शेड्यूल सेहत को कुछ नुकसान भी करता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग के नुकसान इस प्रकार हैं –

 

  1. लगातार भूख लगना – इंटरमिटेंट फास्टिंग करते वक्त चूंकि शरीर को कम कैलोरी मिलती है, इसलिए व्यक्ति को लगातार भूख महसूस होती है।
  2. थकान हावी होना – कैलोरी इनटेक कम होने की वजह से व्यक्ति हर समय थकान और कमजोरी महसूस करता है।
  3. पाचन संबंधी परेशानी होना – फास्टिंग शेड्यूल के चलते पाचन संबंधी दिक्कतें जैसे कब्ज, ब्लोटिंग, गैस आदि की समस्याएं होने लगती हैं।
  4. सिर में दर्द होना और मूड स्विंग होना – भूखे पेट की वजह से व्यक्ति के सिर में दर्द होता है। कम कैलोरी मिलने के कारण मूड स्विंग होते हैं, जैसे कभी गुस्सा आना, कभी उदासी हावी होना आदि।
  5. नींद बाधित होना – शरीर के भूखे रहने के वजह से व्यक्ति की नींद में खलल पड़ता है और रात को नींद आने में दिक्कत होने लगती है।

 

इंटरमिटेंट फास्टिंग यूं तो स्वास्थ्य के लिए काफी फायेदमंद साबित होता है। हालांकि इसके फायदों का लाभ उठाने और इसका सही यूज करने के लिए ये निर्धारित करना जरूरी है कि क्या ये संबंधित व्यक्ति की लाइफस्टाइल औऱ सेहत संबंधी जरूरतों के अनुरूप है।  सेहत की निगरानी करने के लिए शरीर की नियमित जांच जरूरी है। ऐसे में डॉ। लाल पैथलेब्स से ब्लड टेस्ट बुक करवाएं।

FAQs

प्रश्न – इंटरमिटेंट फास्टिंग के दो नुकसान क्या हैं?

इंटरमिटेंट फास्टिंग करते वक्त व्यक्ति को लगातार भूख लगती है। इंटरमिटेंट फास्टिंग शेड्यूल में व्यक्ति कैलोरी की कमी के चलते अक्सर थकान महसूस करता है।

प्रश्न – इंटरमिटेंट फास्टिंग के लिए सबसे अच्छा शेड्यूल क्या है ?

देखा जाए तो इंटरमिटेंट फास्टिंग किसी भी व्यक्ति की लाइफस्टाइल और सेहत संबंधी जरूरतों पर निर्भर करता है। हालांकि इस समय 16/8 फास्टिंग शेड्यूल इंटरमिटेंट फास्टिंग के सबसे पॉपुलर शेड्यूल में से एक है।

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