हार्ट ब्लॉकेज – कारण, लक्षण, प्रकार और उपचार
- 21 Apr, 2025
- Written by Team Dr Lal PathLabs
Medically Approved by Dr. Seema
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सेहतमंद रहने के लिए दिमागी सेहत के साथ साथ दिल की सेहत (Heart Health) भी दुरुस्त रखने की वकालत की जाती है। दिल संबंधी बीमारी की बात करें तो दुनिया भर में ह्रदय रोग (Heart Disease ) के लगभग 60 फीसदी मामले अकेले भारत में ही हैं। हार्ट की ब्लॉकेज (Heart Block) होने पर दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। अक्सर हर मरीज में हार्ट ब्लॉक की डिग्री यानी स्टेज और प्रकार अलग अलग होता है, जिसके आधार पर मरीज की स्थिति की गंभीरता निर्भर करती है। हार्ट ब्लॉक के लक्षणों को समय रहते समझ कर इसका प्रभावी मैनेजमेंट बहुत महत्वपूर्ण है। चलिए इस लेख में जानते हैं कि हार्ट ब्लॉक क्या है। इसके साथ साथ हार्ट ब्लॉकेज कारण, प्रकार और लक्षण के बारे में भी जानेंगे।
हार्ट ब्लॉकेज क्या है? (What is a Heart Block?)
शरीर का इलेक्ट्रिकल सिस्टम इलेक्ट्रिक संकेतों (Electrical signals) के जरिए दिल की धड़कन (Heartbeat) यानी हार्ट बीट को नियंत्रित करता है। इन्हीं सिग्नलों की वजह से दिल सिकुड़ता और फैलता है। इस इलेक्ट्रिकल सिस्टम में आई खराबी को ही हार्ट ब्लॉक कहा जाता है। हार्ट ब्लॉक को एट्रियोवेंट्रिकुलर ब्लॉक यानी एवी ब्लॉक (atrioventricular AV heart block) या कंडक्शन डिसऑर्डर (conduction disorder) भी कहा जाता है। हार्ट ब्लॉक होने पर दिल धीमी गति से धड़कता है और उसका संकुचन करना कम होता है। हार्ट बीट के अनियंत्रित होने पर हार्ट सही से खून को पंप नहीं कर पाता और ऐसे में हार्ट तक ऑक्सीजन पहुंचाने वाली कोरोनरी धमनियों (coronary vessels) में खून का प्रवाह रुकने लगता है। जब दिल तक खून और ऑक्सीजन कम पहुंचती है तो दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।
हार्ट ब्लॉक कितने प्रकार का होता है ?(Types of Heart Block)
हार्ट ब्लॉक की स्थिति को गंभीरता के आधार पर कई प्रकार में बांटा जा सकता है।
- फर्स्ट डिग्री हार्ट ब्लॉक (First-degree Heart Block ) – किसी भी हार्ट ब्लॉकेज के मामले में ये सबसे कम गंभीर स्थिति मानी है। इस स्थिति में ह्रदय को मिलने वाले इलेक्ट्रिकल सिग्नल एट्रियो से वैंट्रिकल्स तक पहुंचने में देर लगाते हैं। हालांकि ये संकेत निचले हिस्से तक पहुंच ही जाते हैं इसलिए इस स्थिति को खतरनाक नहीं कहा जाता है।
- सैकेंड डिग्री हार्ट ब्लॉक (Second-degree Heart Block) – सैकेंड डिग्री हार्ट ब्लॉक फर्स्ट डिग्री हार्ट ब्लॉक से थोड़ा ज्यादा गंभीर होता है। यहां इलेक्ट्रिकल सिग्नल एट्रियो से निकल कर कभी कभी वेंट्रिकल्स तक नहीं पहुंच पाते हैं। सैकेंड डिग्री हार्ट ब्लॉकेज दो तरह का होता है।
- मोबिट्स टाइप वन (Mobitz type 1) – इस सिचुएशन में इलेक्ट्रिकल सिग्नल तब तक धीमे होते रहते है जब तक हार्ट बीट रूक ना जाए। हालांकि ये मामला कम गंभीर होता है।
- मोबिट्स टाइप टू (Mobitz type 2) – इस स्थिति में इलेक्ट्रिकल सिग्नल एट्रियो से निकल कर वेंट्रिकल्स तक कभी पहुंच जाते हैं और कभी पहुंचने में नाकाम हो जाते हैं। इससे दिल की धड़कन धीमी और अनियमित हो जाती है। ये गंभीर स्थिति है जो दिल के दौरे का खतरा पैदा करती है।
- थर्ड डिग्री हार्ट ब्लॉक (Third-degree Heart Block) – यहां इलेक्ट्रिकल सिग्नल एट्रियो से वैंट्रिकल्स तक बिलकुल नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में कोरोनरी धमनियों में खून पंप नहीं हो पाता है। ये सबसे गंभीर स्थिति होती है जो मरीज को हार्ट अटैक की तरफ ले जाती है।
हार्ट ब्लॉक के लक्षण किस तरह के होते हैं? (What are the Symptoms of Heart Block?)
हर मरीज में हार्ट ब्लॉक के लक्षण स्थिति और गंभीरता के आधार पर अलग अलग हो सकते हैं। फर्स्ट डिग्री हार्ट ब्लॉक के मामले में मरीज को किसी भी तरह के लक्षणों का अहसास नहीं होता है। हालांकि इकेजी (EKG)के जरिए मेडिकल प्रोफेशनल इन लक्षणों का पता लगा सकते हैं।
हार्ट ब्लॉक के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं –
- छाती में दर्द होना (Chest Pain)– इस स्थिति में मरीज की छाती में बाईं तरफ दर्द होता है।
- सांस फूलना (Shortness of Breath and Rapid Breathing)– मरीज की सांस फूलने लगती है और वो तेजी से सांस लेने लगता है।
- थकान और कमजोरी महसूस होना (Fatigue or Tiredness)– मरीज को बिना काम किए भी थकान महसूस होने लगती है।
- दिल की धड़कन अनियमित होना (Heart Palpitations)– मरीज की हार्ट बीट अनियमित हो जाती है।
- मतली और चक्कर आना (Nausea and Dizziness) – मरीज को उल्टी या मतली महसूस होती है। उसे चक्कर भी आने लगते हैं।
- बेहोशी आना (Fainting) – कुछ स्थितियों में मरीज बेहोश हो जाता है।
ध्यान रहे सटीक उपचार के लिए जरूरी है कि हार्ट ब्लॉक के लक्षणों की सही समय पर पहचान की जाए।
हार्ट ब्लॉक के क्या कारण हैं? (What Causes Heart Block?)
हार्ट ब्लॉक के कारण इस प्रकार हैं –
- कोरोनरी धमनियों से जुड़ी बीमारी (Coronary artery disease)
– दिल की मांसपेशियों से जुड़ा रोग (heart muscle disease)
– दिल के वाल्व में खराबी (heart valve disease)
- दिल का दौरा (Heart Attack)
- दिल की संरचना में दिक्कत होना (Problems with the heart’s structure)
- कुछ खास दवाएं (Certain medications)
- कुछ बीमारियां जैसे-
-थायरॉइड बीमारी (Thyroid disease)
-लाइम रोग (Lyme disease)
– इंफेक्शन ( infections)
-ऑटोइम्यून स्थितियां (autoimmune conditions)
- जेनेटिक डिस्ऑर्डर (Genetic factors)
हार्ट ब्लॉक का इलाज कैसे होता है? (What are Heart Block Treatments?)
हार्ट ब्लॉक का इलाज मरीज की स्थिति और हार्ट ब्लॉक के प्रकार पर निर्भर करता है।
- फर्स्ड डिग्री हार्ट ब्लॉक के लिए नियमित जांच के साथ साथ पल्स रीडिंग (monitoring the pulse), हार्ट ब्लॉक के लक्षणों की पहचान जरूरी मानी जाती है।
- सैकेंड या थर्ड डिग्री हार्ट ब्लॉक के लिए डॉक्टर पेसमेकर (Pacemakers)लगाने की सलाह देते हैं। पेसमेकर बैटरी से चलने वाला ऐसा उपकरण है जो हार्ट तक इलेक्टट्रिकल्स पल्स भेजते हैं। इससे ये हार्ट का सही रूप से धड़कना सुनिश्चित होता है।
यदि किसी मरीज में हार्ट ब्लॉक के लक्षण नजर आ रहे हैं तो तुरंत मेडिकल प्रोफेशनल से संपर्क करना चाहिए। सटीक और सही हृदय परीक्षण (heart test) के लिए डॉ. लाल पैथलेब्स की वेबसाइट पर विजिट करें।
FAQs
प्रश्न – हार्ट ब्लॉक के किस प्रकार के लिए इलाज की जरूरत पड़ती है।
फर्स्ड डिग्री हार्ट ब्लॉक की स्थिति में आमतौर पर इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है। दूसरी और तीसरी डिग्री के हार्ट ब्लॉक की सिचुएशन में पेसमेकर लगाया जाता है ताकि दिल सही तरीके से धड़क सके।
प्रश्न – हार्ट ब्लॉक के लक्षणों से कैसे बचा जा सकता है।
हार्ट ब्लॉक के लक्षणों से बचने के लिए हेल्दी डाइट, नियमित एक्सरसाइज करने के साथ साथ स्मोकिंग और शराब का सेवन बंद कर देना चाहिए।







