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कोलेस्ट्रॉल क्या होता है और इसके बढ़ने के शुरुआती लक्षण क्या हैं

Medically Approved by Dr. Seema

Table of Contents

कोलेस्ट्रॉल (cholesterol in hindi meaning) शरीर की कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक मोम जैसा लिपिड यानी वसा (lipid) है जो लिवर के द्वारा सिंथेनाइज यानी संश्लेषित किया जाता है। कोलेस्ट्रॉल शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करता है और विटामिन डी और हार्मोन को रेगुलेट करता है। ये वसा शरीर के सभी अंगों में पाई जाती है और शरीर के लिए काफी जरूरी कही जाती है। लेकिन नए दौर में कोलेस्ट्रॉल (cholesterol in hindi) का बढ़ना एक चिंता का विषय बन गया है। आईसीएमआर द्वारा कराए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत में 20 वर्ष से ज्यादा की उम्र के 79 फीसदी लोग कोलेस्ट्रॉल (cholesterol in hindi) की अनियमितता का शिकार हैं यानी 79 फीसदी वयस्क कोलेस्ट्रॉल के बढ़े हुए स्तर से ग्रसित हैं। देश में कोलेस्ट्रॉल संबंधी जटिलताएं अनदेखी की वजह से एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या का रूप ले चुकी हैं। इस लेख में जानते हैं कि कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण क्या हैं और कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय क्या हैं। साथ ही जानेंगे इसके कारणों और टेस्ट (cholesterol test in hindi) के बारे में सब कुछ।

कोलेस्ट्रॉल क्या होता है?

 

कोलेस्ट्रॉल (cholesterolin hindi meaning) कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक लिपिड यानी वसा है जो चिपचिपी और मोम जैसी होती है। कोलेस्ट्रॉल के दो प्रकार होते हें –

  1. लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL) – इसे खराब कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है क्योंकि इसके धमनियों में जमने पर ह्रदय संबंधी रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
  2. हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL) – ये कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि ये धमनियों से अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को हटाकर दिल की सेहत को मजबूत बनाता है।

आपको बता दें कि एक व्यक्ति की स्वस्थ लिपिड प्रोफाइल में कुल कोलेस्ट्रॉल का स्तर 200 mg/dL से कम होना चाहिए। लिपिड प्रोफाइल में एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल का लेवल 100 mg/dL से कम होना चाहिए और गुड कोलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल का स्तर 60 mg/dL से अधिक होना चाहिए।

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कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण क्या होते हैं?

 

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण (cholesterol symptoms in hindi) आमतौर पर स्पष्ट रूप से नहीं दिखते हैं। जब ये लिपिड धमनियों में जमा होने लगता है तो खून के प्रवाह को कम कर देता है जिससे कई दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण (cholesterol symptoms in hindi) इस प्रकार हैं –

  1. सीने में दर्द होना Chest Pain (Angina) – ब्लड वैसल्स यानी रक्त धमनियों के संकुचित होने पर दिल तक जाने वाले खून का प्रवाह कम होने लगता है जिसके चलते सीने में दर्द महसूस होता है।
  2. सांस लेने में तकलीफ होना(Shortness of Breath)-जब धमनियों में खून का प्रवाह कम होता है तो दिल को सही तौर पर पंप करने में दिक्कत होती है और सांस लेने में परेशानी होने लगती है।
  3. थकान और कमजोरी महसूस होना (Fatigue or Weakness) – ऑक्सीजन के कम प्रवाह के चलते शारीरिक औऱ मानसिक थकान होने लगती है और व्यक्ति कमजोरी महसूस करने लगता है।
  4. हाथ पैरों में सुन्नाहट महसूस होना (Numbness or Coldness in Limbs) -धमनियों में प्लॉक जमने के कारण खून के प्रवाह में रुकावट आ जाती है और इसके चलते हाथ और पैरों की धमनियां सुन्न और ठंडी पड़ने पड़ने लगती हैं।
  5. आंखों के आस पास पीला जमाव (Yellowish Deposits Around Eyes (Xanthelasma))- आंखों के आस पास खासतौर पर पलकों के पास पीला वसायुक्त जमाव दिखता है।
  6. त्वचा पर पीले उभार (Eruptive Xanthomas) – त्वचा पर कई जगहों पर छोटे छोटे पीले दाने निकलने लगते हैं। आमतौर पर ये दाने पीठ, कोहनी और छाती के आस पास दिखते हैं।
  7. आंखे के कार्निया के आस पास घेरा (Arcus Senilis) – आंख के कार्निया के आस पास एक मटमेला सा सफेद घेरा दिखाई देता है जो हाई कोलेस्ट्रॉल का संकेत है। ये लक्षण आमतौर पर युवा लोगों में दिखाई देते हैं।
  8. दिल की अनियमित धड़कन (Palpitations or Irregular Heartbeats) – दिल के कामकाज में तनाव आने पर दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है।
  9. ज्यादा पसीना आना (Excessive Sweating)– व्यक्ति को सामान्य से ज्यादा पसीना आने लगता है।

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कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण क्या हैं?

 

कुछ जेनेटिक कारण और असंतुलित लाइफस्टाइल कोलेस्ट्रॉल (cholesterol in hindi meaning) बढ़ने के मुख्य कारण कहे जाते हैं। ये इस प्रकार हैं –

  1. फिजिकल फिटनेस की कमी – जो लोग व्यायाम नहीं करते और ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते, उनके शरीर का कोलेस्ट्रॉल स्तर बढ़ जाता है।
  2. ट्रांस फैट और कोलेस्ट्रॉल से भरपूर डाइट – अपनी डाइट में ट्रांस फैट और वसा वाले खाद्य पदार्थों को शामिल करना भी इसका एक बड़ा कारण है।
  3. मोटापा और बढ़ा हुआ वजन – मोटे लोगों को इस समस्या का ज्यादा रिस्क होता है।
  4. जेनेटिक कारण और पारिवारिक इतिहास – जिन लोगों के परिवार में पहले से हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीज हैं या कुछ आनुवांशिक कारण इसकी वजह बन जाते हैं।
  5. अल्कोहल और धूम्रपान – निकोटीन, अल्कोहल का ज्यादा सेवन करने वाले लोग।
  6. कुछ मेडिकल कंडीशन – कुछ बीमारियां जैसे डायबिटीज, किडनी डिजीज और थायरॉइड जैसी समस्याएं भी इसकी एक बड़ी वजह कही जाती हैं।

कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय क्या हैं ?

 

कोलेस्ट्रॉल (कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और उपाय) कम करने के उपाय में लाइफस्टाइल को संतुलित बनाना, फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाना शामिल हैं। इसके अलावा संतुलित और हेल्दी डाइट के जरिए भी इसे कम किया जा सकता है।

शरीर में कोलेस्ट्रॉल (cholesterol in hindi meaning) के स्तर पर लगातार निगरानी काफी जरूरी है क्योंकि इसका बढ़ा हुआ स्तर दिल के साथ साथ कई अंगों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। किसी भी रिस्क से बचने के लिए नियमित रूप से डॉ. लाल पैथलैब्स में लिपिड टेस्ट (cholesterol test in hindi) करवाएं। टेस्ट बुक करने के लिए डॉ. लाल पैथलैब्स का ऐप डाउनलोड करें।

FAQ

 

लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कितनी बार करवाना चाहिए?

कोलेस्ट्रॉल (cholesterol in hindi)के सामान्य स्तर वाले लोगों को हर चार से छह साल में एक बार लिपिड प्रोफाइल करवाना चाहिए। ऐसे लोग जिन्हें डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या मोटापा जैसे रोग हैं, उन्हें ये टेस्ट कई बार करवाना चाहिए।

क्या बिना दवा के कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय कारगर होते हैं?

हां, बिना दवा के भी कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय कारगर माने जाते हैं। वजन पर नियंत्रण, फिजिटल एक्टिविटी, हेल्दी डाइट और नियमित जांच के जरिए इसे कंट्रोल किया जा सकता है।

क्या हाई कोलेस्ट्रॉल युवाओं और बच्चों को भी प्रभावित कर सकता है?

हां, ऐसे युवा और बच्चे जो फिजिकल एक्टिव नहीं है, हेल्दी डाइट नहीं ले रहे हैं और जेनेटिक कारणो से ग्रस्त हैं, हाई कोलेस्ट्रॉल (cholesterol in hindi) का शिकार बन सकते हैं।

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