एंग्जाइटी : कारण, लक्षण, टेस्ट और उपचार
- 8 May, 2025
- Written by Team Dr Lal PathLabs
Medically Approved by Dr. Seema
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एंग्जाइटी (Anxiety) यानी चिंता मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी एक समस्या है। 2021 में लैंसेट की एक स्टडी के मुताबिक भारत जैसे देश में एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर (anxiety disorder) के मामलों में 35 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसी मसले पर की गई एक अन्य रिपोर्ट कहती है कि भारत में कोरोना महामारी के दौरान 18 से 24 साल की उम्र के बीच के करीब 9।3 फीसदी युवा मेंटल हेल्थ से जुड़ी बीमारियों का शिकार हुए थे, और ये प्रतिशत 2022 में बढ़कर 16।8 फीसदी हो गया।
देखा जाए तो मेंटल हेल्थ को लेकर दिए गए ये सभी आंकड़े तेजी से फैलते एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर की सही स्थिति को बताते हैं। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर जैसी परेशानी के कारण और लक्षणों की जल्द पहचान करके इसके मैनेंजमेंट के तरीकों पर फोकस किया जाए। चलिए आज बात करते हैं कि एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर क्या है, साथ ही जानेंगे इसके कारण और लक्षणों के बारे में और इसकी जांच के बारे में सब कुछ।
एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर क्या है ?
एंग्जाइटी यानी चिंता मेंटल हेल्थ से जुड़ी एक कंडीशन है जो जीवन में आने वाले संभावित खतरों और स्ट्रेस यानी तनाव के प्रति स्वाभाविक रिएक्शन के रूप में सामने आती है। एंग्जाइटी से पीड़ित व्यक्ति भविष्य के लिए चिंतित और डरा हुआ महसूस करता है। एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर से पीडित व्यक्ति हर वक्त डरा रहता है, उसे घबराहट महसूस होती है और उसके हाथ पैर कांपने लगते हैं। उसे नींद न आने की परेशानी होने लगती है और उसे लगातार पसीना भी आता है।
धीरे धीरे धीरे ये सभी लक्षण इतने आम हो जाते हैं कि व्यक्ति एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर का शिकार हो जाता है। एंग्जाइटी अटैक जब पड़ता है तो मरीज का मानसिक व्यवहार बदल जाता है और वो सामान्य लोगों से अलग हटकर बिहेव करने लगता है। एंग्जाइटी के ये लक्षण जब लगातार सामने आते हैं तो व्यक्ति की लाइफस्टाइल पर इसका असर दिखने लगता है और इससे उसके शरीर और दिमाग पर कई बुरे प्रभाव पड़ते हैं।
एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर कितनी तरह का होता है?
एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर कई तरह का होता है। इसके प्रचलित रूप इस प्रकार हैं –
- पैनिक डिस्ऑर्डर (Panic Disorder) – इस स्थिति में व्यक्ति को बार बार पैनिक अटैक आते हैं। ये अप्रत्याशित पैनिक अटैक बिना चेतावनी होने वाले कुछ खास ट्रिगर होते हैं। जैसे धमाके की आवाज या एकदम से कुछ दिख जाने पर व्यक्ति को घबराहट होने लगती है। ऐसा व्यक्ति कुछ अप्रत्याशित होने पर सांस लेने में दिक्कत महसूस करने लगता है, कई बार उसे चक्कर तक आ जाते हैं।
- फोबिया (Phobia) – फोबिया यानी किसी खास चीज, स्थिति या एक्टिविटी से डर महसूस होना। जैसे कुछ लोग पानी से डरते हैं तो कुछ लोग सांप से डर जाते हैं। कई लोग ऊंचाई से डरते हैं तो बहुत से लोगों को अंधेरे का फोबिया है।
- सोशल एंग्जाइटी (Social Anxiety Disorder) – सोशल एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर में व्यक्ति समाज में और भीड़ में लगातार देखे जाने, निगेटिव तौर पर आंके जाने से डर महसूस करने लगता है। ऐसे लोग समाज में बहुत भयभीत रहते हैं और ज्यादा लोगों के बीच असहज हो जाते हैं। ऐसे लोगों को पब्लिक के बीच में बोलने और पार्टीज आदि जाने से काफी डर लगता है।
- सामान्य एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर (Generalized anxiety disorder) ये सामान्य एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर है जिसमें व्यक्ति अपनी रोजमर्रा की जिंदगी और कामकाज को लेकर डर महसूस करने लगता है।
एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर के क्या कारण हैं?
एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर कई वजहों से हो सकता है। इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं –
- शुगर या डिप्रेशन (Diabetes or Depression) – कई बार एंग्जाइटी शुगर की वजह से भी हो सकती है। इसके अलावा डिप्रेशन यानी अवसाद भी इसका एक बड़ा कारण हो सकता है।
- एंग्जाइटी की फैमिली हिस्टरी (Family History of Anxiety) अगर परिवार में पहले से किसी को एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर रहा है तो संभव है कि आने वाली पीढ़ी के लोगों को ये परेशानी हो।
- तनाव वाले माहौल में रहना (Stressful Environment) तनाव से भरपूर माहौल में रहने के कारण भी लोगों को एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर हो जाता है। जैसे फायर सर्विस, पुलिस सर्विस, एमरजेंसी में काम करने के कारण।
- ज्यादा शराब या मादक पदार्थों का सेवन करना (Excessive Alcohol) जो लोग ज्यादा शराब पीते हैं या मादक पदार्थों का सेवन करते हैं, उन्हें दूसरे लोगों की अपेक्षा एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर का खतरा ज्यादा होता है।
- दिमाग के सर्किट में फॉल्ट होना (Faulty Circuits in the Brain) दिमाग में भय औऱ इमोशन को कंट्रोल करने वाले सर्किट में फॉल्ट होने पर भी एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर होने का रिस्क बढ़ जाता है।
एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर के लक्षण क्या हैं ?
एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर के लक्षण अलग अलग व्यक्तियों पर अलग अलग तरह से दिखते हैं। कई बार एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर के लक्षण इसके कारणों के चलते भी बदल सकते हैं। एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं –
- हर वक्त घबराहट होना, खतरा या डर महसूस होना।
- सांस लेने में तकलीफ महसूस करना।
- सांसों की गति तेज हो जाना, सीने में भारीपन महसूस होना
- ध्यान केंद्रित करने यानी फोकस करने में दिक्कत होना।
- शरीर के किसी भी हिस्से में अचानक और बिना वजह दर्द महसूस होना।
- दिमाग में अनियंत्रित विचार आना, कई बार गलत विचार भी आने लगते हैं। इस दौरान विचारों पर कंट्रोल नहीं रहता है।
- हाथ पैरों में झनझनाहट महसूस करना।
- नींद में कमी आना, कई बार व्यक्ति को रात भर नींद नहीं आती है।
- हर वक्त कमजोरी और थकान महसूस करना।
एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर की जांच कैसे की जाती है?
देखा जाए तो अभी तक ऐसा कोई स्पेशल या खास लैब टेस्ट नहीं बना है जिससे एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर की जांच की जा सके। अगर डॉक्टर मरीज की सभी हेल्थ कंडीशन और उनके कारणों की जांच करते हैं तो हो सकता है कि एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर के लक्षणों की पहचान हो सके। यदि मरीज के लक्षणों की कोई हेल्थ संबंधी वजह नहीं है तो इस स्थिति में मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल का परामर्श किया जा सकता है।
एक मेडिकल मेंटल हेल्थ प्रेक्टिशनल एक सेशन के तहत मरीज से कई मसलों पर बातचीत कर सकता है। इस सेशन में एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर के लक्षणों जैसे नींद के पैटर्न, व्यवहार संबंधी आदतों, स्पेसेफिक फोबिया और सोशल मेल मिलाप पर कई तरह की चर्चा और सवाल जवाब हो सकते हैं। इस सेशन के बाद अगर मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल को लगता है कि एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर के लक्षण दिख रहे हैं तो वो सपोर्ट सिस्टम के तहत मरीज को परिवार के बीच रहने, दोस्तों के साथ करीबी रिश्ता रखने, नियमित रूप से एक्सरसाइज करने, आराम करने, हेल्दी डाइट लेने, खुद की देखभाल करने की सलाह दे सकता है।
देखा जाए तो ज्यादा एंग्जाइटी दिमाग के साथ साथ शरीर में भी कई डिस्ऑर्डर पैदा कर सकती है। इससे व्यक्ति के शरीर, दिमाग और लाइफस्टाइल पर काफी बुरा असर पड़ता है और जीवन जीने का तरीका प्रभावित होता है।
ऐसे में मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से मदद लेने, खुद की देखभाल करने, खुद को प्रियारिटी देने, सोशल दायरा बढ़ाने और परिवार के साथ रहने से इसे मैनेज किया जा सकता है।
अगर किसी व्यक्ति में एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर के लक्षण दिख रहे हैं तो उसे मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से संपर्क करना चाहिए। इसके साथ ही एंग्जाइटी टेस्ट के लिए डॉ। लाल पैथलेब्स में टेस्ट बुक करवाना चाहिए।
FAQs
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क्या एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर को रोका जा सकता है?
मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल की सहायता के जरिए, हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर और सपोर्ट सिस्टम की मदद से एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर को रोका जा सकता है।
2. एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर के क्या लक्षण हैं?
एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर के लक्षणों में घबराहट, चिंता, बैचेनी, हाथ पैर कांपना, सांस फूलना, नींद कमी, डर महसूस करना शामिल है।



